भारत में पत्रकर्ता करना उतना भी सुरक्षित नहीं जितना एक आम आदमी सोचता हैं। गाजियाबाद के बाद अब एक और पत्रकार की सरेआम हत्या कर दी गई, जिस पत्रकार को मारा गया हैं उनका नाम सुनील तिवारी था वह निवाड़ी जिले के रहने वाले, एक हिंदी दैनिक के लिए काम किया करते थे।
ख़बर के अनुसार इस केस में भी पुलिस की अनसुनी की वजह से पत्रकार को अपनी जान से हाथ धोने पढ़े. परिजनों ने बताया, कि सुनील ने अपनी जान का खतरा पहले ही पुलिस और अधिकारिओ से साझा किया था, और जिले के एसपी और कलेक्टर से भी मदद की गुहार लगाई थी।
क्या हैं पूरा मामला ?
जानकारी के अनुसार, पत्रकार सुनील तिवारी ने कुछ दिनों पहले सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया था जिसमें वह जिले के अधिकारियों से मदद की गुहार लगा रहे थे। वायरल वीडियो में सुनील ने कुछ दरंदो से अपनी जान का खतरा साफ़ तौर पर ज़ाहिर किया था, उन्होंने वीडियो में कहा, कि ”मैंने इनके कुछ कृत्यों को उजागर किया है। उसके बाद से यह मुझे मारने की धमकी दे रहे हैं, और आगे कहा कि ये बहुत बड़े लोग हैं और इनकी पहुंच बहुत उपर तक है”। इसके बावजूद भी सुनील को न तो पुलिस से कोई मदत मिली और न की किसी अधिकारी से।
दरअसल, बुधवार को पुतरी खेड़ा स्थित अपने गांव लौट रहे पत्रकार की बेरहमी से हत्या कर दी गयी, सुनील पर उन दरंदो ने लाठी, डंडे और धारदार हथियारों से हमला किया था। जब गांव के लोगो को ख़बर मिली तब उन्होंने पुलिस को घटना स्थल पर बुलाया और सुनील को झाँसी के अस्पताल में ले जाया गया और वहां डॉक्टरों ने सुनील को मृत घोषित कर दिया था।
अब सवाल पुलिस और प्रशासन अधिकारियो से पूछा जाना चाहिए की क्यूँ हैं पत्रकारों के प्रति इतनी लापरवाही ?
हाल में गाजियाबाद के एक पत्रकार को सरेआम गोली मार कर हत्या कर दी गयी थी और अब यह मामला। यह सरकार और पुलिस अधिकारियों पर बहुत सरे प्रश्न चिन्ह लगाता हैं जो सरकारे राज्य से गुंडा राज ख़तम करने की बात करती हैं आज उन्ही के राज्यों में पत्रकारों को सारेआम मारा जा रहा हैं।