हाली ख़बर में विमानों और एसयूवी में, दुनिया के सबसे अमीर 1% ने मानवता के सबसे गरीब आधे हिस्से की तुलना में दोगुना सीओ-2 उत्सर्जन का उत्पादन किया हैं।
शोधकर्ताओं ने सोमवार को कहा कि लगातार उड़ान भरने वाले, एसयूवी के शौकीन और बड़े खर्च करने वाले, दुनिया की 1% आबादी ने ग्रह-ताप उत्सर्जन में दो गुना वृद्धि की, जो पिछली तिमाही में आधी गरीब आबादी न की ।
वैज्ञानिकों ने कहा कि अत्यधिक खपत ने दुनिया के “कार्बन बजट” में बहुत कम जगह छोड़ी है, जिससे गरीब देशों को बढ़ते खतरनाक जलवायु प्रभावों में, बिना ग्रह में और कार्बन एमिशन कर, तूफान से लेकर पानी की कमी तक हो सकती है।
अध्ययन में कहा गया है कि 10% की सबसे अमीर आबादी ने कार्बन का 52% तक उत्सर्जन किया। और इसका एक विशेष कारण fuel-guzzling SUVs की बढ़ती लोकप्रियता को बताया, जैसे 2010 और 2018 के बीच दूसरे सबसे बड़े चालक के रूप में उभरने वाले वाहनों में से fuel-guzzling SUVs को बताया गया । वैज्ञानिकों का कहना हैं कि वैश्विक जलवायु परिवर्तन को नियंत्रण में रखने के लिए न केवल गरीब देशों को साफ-सुथरा विकसित करने में मदद करने की आवश्यकता होगी, बल्कि दुनिया के अमीरों द्वारा अधिक खपत पर अंकुश लगाने के लिए कड़े उपाय करने की जरूरत है।
टिम गोर, गरीबी-विरोधी चैरिटी ऑक्सफैम के लिए जलवायु नीति के प्रमुख और रिपोर्ट के प्रमुख लेखक ने कहा कि ”बदलाव केवल स्वेच्छा से काम करने वाले व्यक्तियों से नहीं होगा। यह सरकारों द्वारा संचालित किया जाना चाहिए है,”।
क्या बताया सलूशन ? कैसे हो सकता हैं कार्बन का उत्सर्जन कम ?
ऑक्सफैम की रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि सबसे अमीर 10% लोगों को लक्ष्य में दुनिया को ट्रैक पर रखने के लिए 2030 तक अपने उत्सर्जन को लगभग 10 गुना तक कम करना होगा।
किन देशो ने उठाया कदम ?
फ्रांस ने पहले ही एसयूवी पर सख्त कर लगा दिया है, गोर ने कहा की, जबकि न्यूजीलैंड और स्कॉटलैंड जैसी कुछ सरकारें नए उपाय सोच रही हैं।