जैसा कि आप सभी जानते हैं इस वर्ष 27 अक्टूबर को देशभर में दिवाली का महापर्व मनाया जा रहा हैं. दिवाले के पवन असवर पर माँ लक्ष्मी की पूजा होती हैं. ऐसा कहा जाता हैं कि दिवाली वाले दिन यदि लक्ष्मीजी आपके घर प्रवेश कर जाए तो आपको कभी धन की कोई कमी नहीं होती हैं. हालाँकि माँ लक्ष्मी सिर्फ उन्ही घरों में पधारती हैं जहाँ कुछ ख़ास तरह की गलतियाँ नहीं होती हैं. ऐसे में हम आपको कुछ ऐसी चीजें बताने जा रहे हैं जिनका ध्यान आपको दिवाली वाले दिन अवश्य रखना हैं. यदि आप ऐसा नहीं करते तो माता रानी आपके द्वार से ही लौट जाएगी.
Diwali के त्यौहार को लेकर लोगों में बहुत क्रेज रहता है Diwali से पहले ही लोग सोचने लग जाते है की दीवाली में क्या-क्या करेंगे Diwali से कुछ दिन पहले ही बाजारों में भीड़ होने लग जाती है और लोग खरीददारी करना शुरू कर देते है. वास्तव में Diwali रौशनी और उल्लास का त्यौहार है सबसे ज्यादा किसी भी त्यौहार को लेकर क्रेज बच्चों में ज्यादा रहता है क्योंकि उन्हें Diwali में पटाखे फोड़ने को मिलते है
अंधकार पर प्रकाश की विजय का यह पर्व समाज में उल्लास, भाई-चारे व प्रेम का संदेश फैलाता है। यह पर्व सामूहिक व व्यक्तिगत दोनों तरह से मनाए जाने वाला ऐसा विशिष्ट पर्व है जो धार्मिक, सांस्कृतिक व सामाजिक विशिष्टता रखता है। हर प्रांत या क्षेत्र में दीवाली मनाने के कारण एवं तरीके अलग हैं पर सभी जगह कई पीढ़ियों से यह त्योहार चला आ रहा है।
दिवाली का त्योहार परिवारों और रिश्तेदारों के साथ खुशियां बांटकर मनाने का त्योहार है। लेकिन यह रिवाज़ शायद अब र्सिफ किताबों में रह गया है। क्योंकि आज की पीढ़ी ने शॉर में दिवाली मनाने का आनंद ढूंढ लिया है। युवा पीढ़ी को समझना होगा कि पटाखे बिना दिवाली मनाई जा सकती हैं। और जिस मज़े में उन्हें आनंद मिल रहा है। पटाखों से होने वाले नुकसान बहुत हानिकारक है प्रदूणष मुक्त दिवाली मनाने का सही तरीका क्या है। और पटाखे बिना दिवाली जैसे अच्छे त्योहार का मज़ा लिया जा सकता है
अगर आप अपनी Diwali को खुद के लिए दूसरों के लिए और प्रदूषण के लिए सेफ बनाना चाहते है तो आईये जानते है सेफ और एको फ्रेंडली दिवाली कैसे मनाते है?
दुकानदार और खरीदार अभी भी प्लास्टिक के बैग का इस्तेमाल कर रहे हैं. ऐसे में खरीदारी के शौकीन लोग दिवाली में खरीदारी के दौरान अक्सर ये भूल जाते हैं कि जो उत्पाद वे खरीद रहे हैं, वे पर्यावरण पर असर डाल सकते हैं. इस बारे में थोड़ी समझदारी दिखाना पर्यावरण के लिए लाभकारी साबित हो सकता है.
प्लास्टिक मिट्टी के उपजाऊपन को नुकसान पहुंचाता है और ये आसानी से नष्ट नहीं होता है. पर्यावरण संरक्षण में छोटा सा योगदान देते हुए खरीदार कपड़े के या जूट के बने बैग का इस्तेमाल कर सकते हैं.
– गिफ्ट रैप करने के लिए भी बड़े पैमाने पर प्लास्टिक रैपर का इस्तेमाल होता है. न्यूजपेपर से बने या ग्रीन फैब्रिक से बने रैपर का इस्तेमाल करें या ब्राउन बैग का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. लोग घर पर अपनी सहजता के हिसाब से गिफ्ट रैपर डिजाइन भी कर सकते हैं. इसके लिए आपको चार्ट पेपर और डिजाइन व पैटर्न बनाने के लिए परिवार के किसी सदस्य के कलात्मक हुनर की जरूरत होगी, जो अच्छे से रैपर डिजाइन कर सके.
– एलईडी लाइट ऊर्जा की बचत करने वाले उत्पादों में एक उपयोगी अविष्कार हैं. इस दिवाली आप
एलईडी स्ट्रिप खरीद सकते हैं, जो उचित और पर्यावरण के अनुकूल भी होगा. इसे बनाने में गैलियम
फोस्फाइड का इस्तेमाल होता है, जिसकी वजह से कम ऊर्जा में भी अच्छा प्रकाश देता है और
विश्वसनीय व टिकाऊ होता है.
वायु प्रदूषण
वायु प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए पटाखों से दूरी बनाना ही बेहतर होगा. आप दूसरों को भी पटाखें ना खरीदने को लेकर जागरूक कर सकते हैं. पटाखों का जहरीला धुंआ स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है और आसमान में भी धुंध सा छा जाता है, इसलिए इस दिवाली को सुरक्षित रूप से अपनों के साथ खुशी से मनाएं.
विद्वानों के अनुसार आतिशबाजी के दौरान इतना वायु प्रदूषण नहीं होता जितना आतिशबाजी के बाद। जो प्रत्येक बार पूर्व दीवाली के स्तर से करीब चार गुना बदतर और सामान्य दिनों के औसत स्तर से दो गुना बुरा पाया जाता है। इस अध्ययन की वजह से पता चलता है कि आतिशबाज़ी के बाद हवा में धूल के महीन कण (en:PM2.5) हवा में उपस्थित रहते हैं। यह प्रदूषण स्तर एक दिन के लिए रहता है, और प्रदूषक सांद्रता 24 घंटे के बाद वास्तविक स्तर पर लौटने लगती है।[64] अत्री एट अल की रिपोर्ट अनुसार नए साल की पूर्व संध्या या संबंधित राष्ट्रीय के स्वतंत्रता दिवस पर दुनिया भर आतिशबाजी समारोह होते हैं जो ओजोन परत में छेद के कारक हैं।
- जरुरत मंद की करें मदद
किसी भी दिन अगर हम किसी जरुरत मंद इंसान की मदद करते हैं। तो अंदर से एक अलग खुशी महसूस होती है। इस दिन आप किसी गरीब को मिठाईयां, कपड़े देकर मदद कर सकते हैं। अगर आप यह सब नहीं दे सकते हैं तो आप र्सिफ उनके पास जाकर दिवाली की बधाई भी दे सकते हैं। चीज़ों से ज्यादा जज्बात मायने रखते हैं - तोहफे बांटकर मनाएं दिवाली
दिवाली का त्योहारही खुशियां बांटने का त्योहार होता है। और भारत में खुशियां बांटने का तरीका लाजवाब है। दिवाली वाले दिन लोग अपनी खुशियों का इजहार तोहफे बांटकर करते हैं। अगर तोहफे खुद जाकर दिए जाएं तो सोने पर सुहागा हो जाएगा। दिवाली ही सबसे अच्छा समय होता है जब हम अपने चहाने वालों से मिलना होता है। क्योंकि सभी अपनी जिंदगी में बहुत व्यस्त हो चुकी हैं। - आस-पास की करें सफाई, लगाएं पौधें
दिवाली का त्योहारपर घर की सफाई तो हर साल ही की जाती है। लेकिन इस बार आप पटाखे बिना दिवाली के साथ कुछ अलग करने की भी सोच सकते हैं। आप घर की सफाई के अलावा अपने आस-पास की भी सफाई कर सकते हैं। जैसे कि आप अपने मोहले की भी सफाई कर सकते हैं। और साफ की गई जगह में पेड़-पौधे भी लगा सकते हैं। - खास लोगों के साथ दिवाली पार्टी करें
दिवाली का मजा आप अपने खास लोगों के साथ पार्टी करके भी मना सकते हैं। वैसे भी पार्टी करने से कोई भी मना नहीं करेगा। दिवाली पार्टी आप किसी थीम पर रख सकते हैं। या फिर प्रतियोगिताएं भी रख सकते हैं। या फिर हर कोई अपने घर से स्पेशल डिश बनाकर भी ला सकता है। यहपटाखे बिना दिवाली मनाने का बेस्ट तरीका भी है। साथ ही अपनो के साथ इस त्योहार का मजा दुगना भी हो जाएगा।
Safe और Ecofriendly Diwali कैसे मनायें || Tips For Safe Diwali
दिवाली की स्पेशल डिश खाएं और खिलाएं
दिवाली वाले दिन हर किसी के घर में स्पेशल डिश बनती है। और यह स्पेशल डिश आप केवल खुद खाने के साख-साथ दूसरों को भी खिला सकते हैं। इससे आपका दिवाली का त्योहार की खुशियां दोगुनी हो जाएंगी
- साथ लें पूरे परिवार की सेल्फी
सेल्फी लेना तो आजकर ट्रेंड में है। लेकिन सेल्फी भी हर कोई र्सिफ अपने आप की लेता है। इस बार आप अपने परिवार के साथ फैमली सेल्फी से सकते हैं। खासकर जलते हुए दियों के साथ आप अपने पूरे परिवार की सेल्फी ले सकते हैं। जो लोग घर से बाहर रहते हैं। औरदिवाली का त्योहार के लिए घर आते हैं। दिवाली के बाद सब अपने कॉलेज और अॉफिस जाना शुरु कर देंगे। दिवाली के बाद र्सिफ यादें ही रह जाएंगी। और यह यादें आप अपने फोन में ले जा सकते हैं। इससे आपके पास दिवाली की यादें हमेशा आपके पास रहेगी। दिवाली का मजा दुगना हो जाएगा जब हम पटाखे बिना दिवाली मनाएंगे।
विवादस्पद तथ्य
दुनिया के अन्य प्रमुख त्योहारों के साथ ही दीवाली का पर्यावरण और स्वास्थ्य पर प्रभाव चिंता योग्य है।
जलने की घटनाएं
दीवाली की आतिशबाजी के दौरान भारत में जलने की चोटों में वृद्धि पायी गयी है। अनार नामक एक आतशबाज़ी को 65% चोटों का कारण पाया गया है। अधिकांशतः वयस्क इसका शिकार होते हैं।
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